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देव घनाक्षरी




देव घनाक्षरी

      वर्ण 8 8 8 9

      16,17 पर यति

      अंत 3 लघु से


नित्य ध्यान मग्न होय, पूजिये शिवाम्बुजम;

बखान हो गुणज्ञ का,नमामि राम उत्तमम।


सुखांत होय जिंदगी, नष्ट काम-क्रोध-तम;

करो गणेश वंदना,कटे कलेश दुष्करम।


आधि-व्याधि सब मिटे, रहे निरोग तन-मना;

सत्व बुद्धि जागरण, विवेक भाव सुंदरम।


 सर्वदा तिमिर मिटे,प्रकाश ही प्रकाश हो;

प्रकोप सारे लुप्त हों, प्रशांत विश्व निर्मलम।


 शोभायमान चंद्रमा,सदैव शुक्ल पक्ष हो;

दिवा में प्रेम शीतला, मनोविकार नाशनम।


विशिष्टता के भाव में, स्वभाव की सुगन्ध हो;

सहानुभूति प्रेमदा, दिखे सदैव दिव्यतम।





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1 Comments

Renu

25-Jan-2023 03:55 PM

👍👍🌺

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